छाया कैसा खुमार,
लूटा दिल का करार,
मुझको क्या हुआ है यार,
ऐसा हुआ है पहली बार...ह्म्म्म..ह्म्म्म
लूटा दिल का करार,
मुझको क्या हुआ है यार,
ऐसा हुआ है पहली बार...ह्म्म्म..ह्म्म्म
न जाने तू है कहाँ,
तेरे बिन सूना जहाँ,
आजा तू आजा पास,दिल को है तुझसे मिलने की आस,
ज़िन्दगी अब तेरे बिन हो गई अपनी उदास ... ह्म्म्म ह्म्म्म...
तू.. रहती है मेरे दिल के खयालो में
मेरी इन साँसों में मेरी इन बाहों में ह्म्म्म्म....
करता हु तुझको याद,
तू मेरे दिल के पास,
तू अब आजा ना,
मुझको यूँ ना तड़पा... ह्म्म्म... ह्म्म्म॥ ह्म्म्म..
तुझसा न कोई था तुझसा ना कोई होगा..
इस दिल को है यकीन अपना मिलन भी होगा...ह्म्म्म... ह्म्म्म्म
2 comments:
wah wah kya kavita hain. very nice n full of love.
thank u
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